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Wednesday, December 4, 2013

बात 13 साल पुरानी है। मै और मेरा दोस्त अपने घर के पास ही बिजली के खम्बे के पास खड़े होके बातें कर रहे थे।
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मोहल्ले का ही एक छोटा सा बच्चा लगभग 5 साल की उम्र का अपने घर से मिठाई से भरा डब्बा फेकने जा रहा था।
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मैंने पूछा की क्यों फेंक रहे बाबु, उसने कहा भैया ये ख़राब हो गया है, और उस बच्चे ने फेंकने के बजाए उसे सामने बहते नाले में हल्के से रख दिया और वापस चला गया।
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उसके रखने से मिठाई का डब्बा तैरने लगा।
हल्की सुराख़ होने की वजह से उस डब्बे में धीरे-धीरे नाले का पानी घुसने लगा।

सामने ही 2 कचरा चुनने वाले बच्चे आ रहे थे।
जब उन दोनों की निगाह नाले में तैरते उस मिठाई के डब्बो पर पड़ी तो वे अपना कचरे वाला थैला वही फेंक कर उस डब्बे को नाले से निकल कर उसका मिठाई खाने लगे।
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ये नज़ारा देखकर तो मै सिहर गया।
उसी दिन एहसास हुआ की भूक क्या होती है।और
उसी दिन से मैंने फैसला किया चाहे कुछ भी हो खाना व्यर्थ न होने पाए।
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दोस्तों अपने आस-पास ज़रूर देख लें की कही कोई भूखा तो नहीं है.

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